क्या तुम्हारा गुस्सा किसी के टाइमलाइन पर जाकर गाली देने के बाद तुम्हें छोड़ देता है?
या वो सचमुच मदद करता है गलत के खिलाफ आवाज उठाने को ।
क्या वो तुम्हें खुदको शिकार और सामने वाले को शिकारी बोलने के लिए भड़काता है?
या वो दोनों को इंसान की तरह देखने में मदद करता है।
क्या वो ऊंची दीवारें खड़ी कर देता है,
या लंबे और सशक्त पुल बनाता है।
क्या तुम्हारा गुस्सा बार बार तुम्हें अंधेरी रात में दर्द भरा अतीत याद दिलाता है,
या तुम्हें हर सुबह कल से ज़्यादा रोशन करने के लिए प्रेरित करता है।
क्या यह गुस्सा एक ही पल में खुद को खत्म करने के लिए उकसाता है,
या वो सालों तक लोगों को रास्ता दिखाने की ताक़त रखता है।