सपनों के किनारे पे बैठे थे तीन यार
एक के लिए बाप दादा का बड़ा जहाज आया
और वो विदेश निकल लिया
दूसरे के लिए एक नाव अाई
जिसे उसके मां और पिता ने
बड़ी मेहनत से बनाया था
दूसरा उसमें बैठा और बड़े शहर
निकल लिया
तीसरे ने इंतजार किया
सोचा कोई तो आएगा
कोई आया तो सही
पर उसे धक्का देकर चला गया
थोड़ी देर छटपटाने के बाद
वो तैरना भी सीख गया
उसे पता था अभी
दूसरा किनारा दूर है
पर वो तैरता रहा
बस तैरता ही रहा
और खुदकी मेहनत से
जिस दिन वो दूसरी ओर पहुंचा
वो ना बड़ा शहर था ना दूसरा देश
वो एक ऐसी दुनिया में पहुंच गया
जहां सागर का पानी तक
भी मीठा होता था
Featured Image- The Great Wave Off Kangawa by Hokusai