एक आदमी
जान से मर रहा है
एक आदमी जान बचा रहा है
एक तीसरा आदमी भी है
जो ना जान बचाता है, ना कोशिश करता है
वह सिर्फ़ दूसरों की जान से खेलता है
मैं पूछता हूँ–
‘यह तीसरा आदमी कौन है ?’
मेरे देश की संसद मौन है।
- धूमिल की कविता रोटी और संसद से प्रेरित
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एक आदमी
जान से मर रहा है
एक आदमी जान बचा रहा है
एक तीसरा आदमी भी है
जो ना जान बचाता है, ना कोशिश करता है
वह सिर्फ़ दूसरों की जान से खेलता है
मैं पूछता हूँ–
‘यह तीसरा आदमी कौन है ?’
मेरे देश की संसद मौन है।